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जागृत चेतना शक्ति

sahity kriti
sahity kriti
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न जाने कब से ज़हन में उतरते ये प्रश्न….
क्या स्वतन्त्र भारत में नारी को मिला पूर्ण सम्मान….?
सदियों से उपेक्षित नारी पा सकी स्वाधिकार…..?
क्या हो सकी रक्षा यहाँ नारी अस्मिता की….?
क्या होगा आधिपत्य भी उसका यहाँ………?
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वसुधा पर जन्मा जिसने वीर पुरुष को
हे नारी ! वह शक्ति तुम ही तो हो …….!
उज्जवल , निर्मल मानसरोवर-सी
स्वगेह का करती संचालन सी |
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प्रतिबंधों से बाधित तुमने ही तो
दहलीज़ पार कुरीतियों को तोड़ा
जीवन के हर क्षेत्र से अपने को जोड़ा
पग-पग पर विपत्ति से आच्छादित
जीवन को नव-दिशा की ओर मोड़ा !
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अन्तर्निहित आत्मशक्ति को परखो अपने अन्तःचक्षुओं से
नारी ही नहीं तुम तो कोई जागृत चेतना शक्ति हो !
बदल दो युग धारा को तुम ऐसी सूत्रधार बनो
सद्यः करो कोई नव सृजना धूमिल पडी मानव सृष्टि की !
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सब ओर निरंकुश असुर राज्य
हो रहा विध्वंस सभी कुछ आज |
टूटे खंडहरों पर भी निर्मित करो महल
युवा शक्ति की बनो प्रेरणा भी तुम |
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खोई सभ्यता संस्कृति का करो प्रचार
औ भरो बाल मन में ऐसे संस्कार
कि न कोई किसी से करे बैर औ न द्वेष
हर बालक बने देश का वीर योद्धा|
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तुम ही जग की शक्ति व संस्कृति हो
अनुचित परम्पराओं व अत्याचारों में
नहीं जकड़ना तुम्हें अब कभी ऐसा करो
उठो , दो परिचय अब शक्ति का अपनी !
तुम नव सृजनामयी संसार हो………!
नव सृजनामयी संसार हो !!!!

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