Menu
blogid : 3412 postid : 1216

सिंह नाद का गर्जन !

sahity kriti
sahity kriti
  • 90 Posts
  • 2777 Comments

हिंद देश की भित्ति पर कामली रंग भ्रष्टाचार का
चढ़े न दूजा रंग अब नेक इंसानी का !
हर गली घर-घर बिकता है ईमान सबका
यहाँ वहाँ होता क़त्ल ईमानदारी का !
—————————————————————
जहाँ तहाँ लूटता दुशासन लाज पांचाली की
तो कभी बोली लगती ग्रामीण बाला की |
चढ़ रही आहुति हिंद संस्कृति की
क्या न होता विदीर्ण वक्षस्थल तेरा….?
——-——————————————————-
पड़े गर भीम प्रहार सह्य हो वह भी
सिंहनाद का गर्जन हो कुछ ऐसा
कम्पित हो जाये सिंहासन ‘ उसका’
भड़क उठे चिंगारी इक नई आज़ादी की !
—————————————————————-

मिल ‘हजारे’ संग मच जाये क्रांति यत्र तत्र सर्वत्र
अर्जुन का गांडीव हुंकारता !
छिड़ जाये महा युद्ध इस नई आज़ादी का
अब दो नया स्वर अपने सपनों के भारत का
——————————————————————
जब गूँज उठेंगे सप्त स्वर गगन में
होगी सृजित कोई नव सृष्टि जग में
————————————————————-
जय भारत !
——————**********——————–

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh