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जल उठें असंख्य दीये अंतस के

sahity kriti
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  अमावस thumbnailCAE9710Cकी घनी अँधेरी रात
बैठी बैठी जोह रही थी बाट !
माटी का दीप लेकर आएगा
कोई दिव्य सन्देश…..!
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अरे ! यहाँ अब कहाँ वह मृत्तिका दीप
जो देगा तुम्हें कोई सन्देश !
विद्युत् झालरों बीच जगमगाती दुनिया में
न जाने कहाँ खो जाता वह टिमटिमाता दीया !
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दीवाली की झिलमिलाती रात में ही
क्यों याद आता `वह’ ?
जगमगाती रोशनी में क्या खोजा है
कभी भीतर की अमावस्या का अँधेरा……. ?
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बाह्य सांसारिक तम पर विजय जो पा ली है !
अंतरतम का क्या जिसे नहीं पहचाना अभी तक
अमावस की अँधेरी रात दीपोत्सव पर ‘मैं’ आता
और बाह्य भीतर दोनों की राह तुम्हें दिखाता !
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कहता यही जल उठें असंख्य दीये अंतस के !diwali-diyas-wallpapers-572871[1]
दीप जोत की ऐसी चले बयार कि-
हो जाये ज्योतिर्मय अंतर्मन के सभी द्वार
धरती से अम्बर तक भी हो उजियारा |
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दीपों के अविरल प्रकाश में लें संकल्प ऐसा
जो स्नेह नीड़ में जलते रहें मन के दीप
हो न अँधियारा फिर कभी……….
जलते रहें मन के दीप सभी……….!

 

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दीपावली के शुभ अवसर पर जागरण टीम के सभी सदस्यों , जागरण मंच के सभी ब्लॉगर साथियों व इस ब्लॉग के सुधी पाठकों और उनके परिवार के सभी सदस्यों को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनायें !!!!!!!!!आप सबके लिए यह पर्व ज्योतिर्मय , समृद्धिमय और मंगलमय हो !!!!!!!
अलका

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