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निशब्द हुई

sahity kriti
sahity kriti
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हिमगिरि की उत्तुंग शिखर श्रृंखलाएंDSC02800
लग रहीं ऐसी कि जैसे……
पड़ी हो धरा पर रुई की धवल चादर |
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सूर्य रश्मियों के स्वर्णिम प्रकाश में ,
झिलमिलाते हिमाद्रि- रजत कण |
औ पीतवर्णी आभा मानो करा देती ,
किसी नव दिव्यालोक का आभास |
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हिमालय के पृष्ठ पर अस्ताचलगामी दिवाकर,DSC02704
और गगन चुम्बी ये हिम श्रृंखलाएं कितनी शोभित !
ऊँचे-ऊँचे सरू भुजा पसारे घाटी बीच देवदार,
जगह जगह से पहुंचे सैलानियों को करते मोहित !
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DSC02722कविवर सुमित्रा नन्दन पन्त जी की बाल्यावस्था के दो चित्र (सात वर्ष की अवस्था में ही काव्य रचना प्रारंभ कर दी थी )

कुहासा ढके हिमाद्रि बीच जन्मा था ,
सरस्वती पुत्र कवि ‘ पन्त ‘ सुकुमार |
बिताया बचपन कौसानी की पहाड़ियों बीच,
पहुँच गयी पैतृक स्थल उनके मैं भी |
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निजी वस्तुएं देख उनकी भावविह्वल हुई
नहीं हैं शब्द कुछ भी कहने को मेरे पास |
कर स्मृति पटल पर अंकित मैं निशब्द हुई ,DSC02714
शत-शत वंदन मेरा शत-शत नमन कविवर तुम्हें !
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सभी चित्र अपने ही कैमरे से लिए गए हैं .

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