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पति नाम का ये प्राणी और उसकी अंतर्व्यथा…….!

sahity kriti
sahity kriti
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आज की दौड़ती भागती ज़िन्दगी में व्यस्ततम पतियों की ओर से पत्नियों को समर्पित कुछ पंक्तियाँ…………
ये रिश्ते पति-पत्नी के
बड़े ही अजीबोगरीब हैं |
कह गए यह बड़े-बड़े ‘ विद्वान औ धुरंधर’ |
कभी तो ये बन जाते परमेश्वर
कभी बन जाएँ ये घनचक्कर|
लिया है पति ने सात फेरों के साथ
सात जन्मों का यह गठबंधन |
पत्नी चाहे तो कर दे
इस गठबंधन को पूरी तरह लॉक|
करते रहें जीवन भर गुटर गूँ-गुटर गूँ यह टॉक!
यह समय भी न जाने कैसा है….!
नहीं होता पति नाम के प्राणी का
समय के साथ कोई गठबंधन |
नौकर का तो समय होता है निश्चित
और फिर उसकी भी हो जाती है छुट्टी |
यह नौकर तो नो नो करता हुआ जाता है भाग
पर पति नाम का प्राणी जो घर में रहता है
यस-यस करता जाता और करता जाता है काम |
नौकर को तो मिलता पारिश्रमिक है
लेकिन इस पति नाम के प्राणी को तो
मिलता न कोई पारिश्रमिक है |
दुर्भाग्यवश इन पत्नियों को न मिला यह सुअवसर
कि उनके पतियों को फुरसतीलाल बनने का |
गर बन जाते ये फुरसतीलाल……..
तो कह उठते ये अपनी धर्मपत्नियों को
बैलगाड़ी या कोल्हू में जुटे इस बैल को
आप समझें अपना ही आश्रम धर्म |
गृहस्थ धर्म के अन्दर नहीं है
विश्राम करने का कोई प्रावधान !!!!!!!!
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