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महाशून्य के उस पार….

sahity kriti
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दुनिया की ज़िन्दगी…..एक अनुभूति !
स्वतः ही लय,ताल ,संगीत और
छंदोबद्ध सर्वोत्कृष्ट ‘ कविता ‘ है …!
जहाँ गूंजती हैं मधुर स्वर लहरियां
जो करती आनंद-रस से सिक्त और
भरपूर देती जीवन जीने को ……
करता `कवि’ रसासिक्त जब
होती प्रस्फुटित `कविता’ तब |
किलकारी भरती…अठखेलियाँ करती
ज़िन्दगी की खोज में घूमती फिरती |
कभी ये दुर्गम राहों पर भटकती
तो चलते-चलते सागर से टकराती|
रेतीले टीलों का सामना करती जाती
तवे सी तप्त धरा पर भी चलती जाती |
जब कंटीली , पथरीली सडकों से गुज़रती
शूल गढ़ते पाँव में, लहुलुहान भी हो जाती |
घने जंगल बीच होकर जाती
सघन झाड़ियों बीच घिर जाती|
अग्नि के भवसागर में लगा गोते
कुंदन सी शुद्ध होकर झीने आवरण पार
अंततः पहुँच जाती महाशून्य के उस पार…!
बस यही है ‘ज़िन्दगी की कविता’ का सार !
‘ज़िन्दगी की कविता’ का सार!!!!
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