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कुछ निशान ऐसे

sahity kriti
sahity kriti
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जल प्रलय……घोर त्रासदी …..हजारों आँखें नम …..
प्रकृति का प्रकोप….. ! नदियों ,पहाड़ों का क्रोध ……..
छोड़ गया अपने कुछ निशान ऐसे कि …
जो न मिट सकेंगे कई वर्षों तक भी |
मौत के तांडव ने शुरू की विनाश लीला
मासूम , वृद्ध , महिलाओं ने अपनों की
बाहों में तोडा दम |
बालक हुए अनाथ घर से बेघर हुए परिवार
लूटी जा रही अस्मिता भी माँ बहनों की
दरिन्दे भी बाज़ न आये दरिंदगी से |
दरिदों ! डूब मरो चुल्लू भर पानी में
सहृदय नहीं तुम पत्थर दिल इंसान हो !
बादल न फटा सत्ताधारियों औ दरिंदों पर
स्थानीय प्रशासन बड़े-बड़े सत्ताधारियों ने
डाला तेल ठूंस रुई कानों में लगाते आंकड़े लाशों के
बढ़ते रहे मौत के आंकड़े
हो रहा था मौत का तांडव `भोले की ज़मीं ‘पर
आगे आये देश की सेना के वीर जवान
न कर जान की परवाह बचाईं असंख्य जिंदगियां
इनका परचम लहराया सर्वत्र
सहसा अंतस से कोई आवाज़ आयी
जय जवान जय किसान
अमर रहें ये जवान !!!!!!!!
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